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बस 15 साल पहले ये चीज़ें हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा थीं, लेकिन अब नहीं
बदलाव निश्चित है, इसे टाला नहीं जा सकता. अब वो आपके लिए अच्छा होगा या बुरा उसकी गैरेंटी नहीं मिलेगी.
अब आप अपने घर को, अपनी जीवनशैली को ही देख लीजिए. बदलते के वक़्त साथ कितना कुछ बदला है. उम्र के साथ आपकी आदतों का बदलना तो समझ भी आता है, घर की छोटी-छोटी चीज़ें भी बदल गई हैं.
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चार दोस्त बैठ कर PUBG नहीं, कैरम खेलते थे.

सबके पास Music App नहीं ऑडियो कैसेट हुआ करते थे

घर-घर में एक हीरो या एटलस की साईकल हुआ करती थी
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Tech news |
पहला स्मार्ट गैजेट था

फ़ेसबुक का जन्म नहीं हुआ था, सब सिर्फ़ कॉमिक बुक जानते थे

इंक पैन से हाथ गंदे करना सबको पसंद था

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D2H वाली जैनरेशन ऐंटिना सेट क्या ही जाने

एक दिन में सैकड़ों सेल्फ़ी लेना तब संभव ही नहीं था

लैंड लाइन फ़ोन पर बेस्ट प्रैंक होता था

तब किताबों को कवर से जिल्द से Judge किया जाता था.

सबने पिज़्ज़ा बर्गर सिर्फ़ टीवी में खाते देखा था

ये स्विच कपड़े टांगने के काम भी आ जाते थे

एक था लैटरबॉक्स

अलमारी के दरवाज़े पर स्टिकर चिपकाना भी कूल था

दीपावली में बल्बों का झालर बनाना दो दिन का काम होता था
मानव और गोरिल्ला के बीच समानताएं-click <<<<<

सचिन, ड्रविड या गांगुली के पोस्टर के बिना डेकोरेशन अधुरी थी.

मेहमानों का स्वागत 'स्वागतम्' वाले डोरमैट भी करते थे

तब लोगों को क्या पता था कि आगे नॉन स्टिकी बर्तन भी बनने वाले हैं.

इन बल्बों ने बिजली बिल भरवा कर खजाना खाली करवा दिया था.

हमेशा डर बना रहता था कि ये एक दिन खाना बनाते समय ये फट जाएगा.

टिप्पणियाँ
बहुत ही उम्दा
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